कोरिया। आदिम जाति सेवा सहकारी समिति जामपारा में नियमों को ताक पर रखकर एक बर्खास्त कर्मचारी को काम पर लगाने का मामला जोर पकड़ रहा है। जानकारी के अनुसार, सूरजपुर जिले के धान संग्रहण (DMO) कार्यालय में पदस्थ रहे दीपेश साहू को विभाग ने पूर्व में गबन प्रकरण के चलते बर्खास्त कर दिया था। इसके बावजूद उसे जामपारा धान खरीदी केंद्र में कार्यरत पाया गया है, जिसे गंभीर अनियमितता के रूप में देखा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2024 में धौराटिकरा समिति के तत्कालीन प्रभारी प्रबंधक ने नियमों की अनदेखी करते हुए बिना किसी आधिकारिक स्वीकृति के दीपेश साहू को जामपारा में नियुक्त कर दिया। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सहकारिता समिति सेवा नियम 2018 के तहत समितियों में नई नियुक्ति पर पूर्ण प्रतिबंध लागू है। ऐसे में एक बर्खास्त, गैर-स्थानीय व्यक्ति को समिति में तैनात करना न सिर्फ नियमों का खुला उल्लंघन है, बल्कि समिति की पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। स्थानीय किसानों ने आरोप लगाया है कि संबंधित कर्मचारी द्वारा धान तौल के दौरान ‘नामी’ क्वालिटी बताकर अतिरिक्त वसूली, अनुचित कटौती तथा किसानों पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है। किसानों का कहना है कि जामपारा समिति में पहले से ही पर्याप्त कर्मचारी मौजूद हैं, फिर भी एक बाहरी एवं गबन प्रकरण में दोषी पाए गए कर्मचारी को काम पर रखने का निर्णय हितों के टकराव और पक्षपात को दर्शाता है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि दीपेश साहू समिति क्षेत्र का निवासी नहीं है तथा उसकी तैनाती से पहले सहकारी अधिनियम के किसी भी प्रावधान का पालन नहीं किया गया। इससे समिति संचालन की विश्वसनीयता और भी संदिग्ध हो गई है। किसानों का कहना है कि यह नियुक्ति पूरी तरह ‘गठजोड़’ का परिणाम लगती है, जिसके चलते धान खरीदी प्रक्रिया प्रभावित हो रही है और किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। मामला उच्च अधिकारियों के संज्ञान में होने के बावजूद अब तक किसी प्रकार की कार्रवाई न होना ग्रामीणों में असंतोष का कारण बना हुआ है। किसानों ने जिला प्रशासन और सहकारिता विभाग से इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई किए जाने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय पर कार्रवाई नहीं की गई तो धान खरीदी कार्य प्रभावित होने के साथ ही समितियों में भ्रष्टाचार और अनियमितता और बढ़ सकती है।
