जामपारा समिति में धान घोटाले पर जांच प्रतिवेदन उजागर, अधिकारी के बयान ने बढ़ाए सवाल

 


बैकुण्ठपुर। सूरजपुर सहकारी समिति में वर्ष 2019-20 के धान संग्रहण में बड़े पैमाने पर शॉर्टेज और अनियमितताओं की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद पूरे मामले में नया मोड़ आ गया है। जांच प्रतिवेदन में लाखों रुपए के धान के अंतर का खुलासा हुआ है, जिससे समिति से लेकर विभाग तक की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। इसी बीच सहकारिता विभाग के अधिकारी आयुष प्रताप के बयान ने स्थिति को और उलझा दिया है। उन्होंने कहा कि “दिपेश साहू का कोर्ट में मामला शायद खत्म हो गया है, इसलिए उसे फिर से काम में रखा गया है”। यह बयान स्वयं विभाग की जानकारी प्रणाली पर गंभीर प्रश्न उठाता है, क्योंकि अधिकारी के पास पुख्ता जानकारी नहीं थी और वे स्पष्ट जवाब देने में असमर्थ रहे।


जांच प्रतिवेदन के अनुसार संपूर्ण परिवहन अवधि के दौरान धान भंडारण और वितरण में बड़े पैमाने पर अंतर मिला है। रिपोर्ट में बताया गया कि कुल 5,44,347 क्विंटल धान परिवहन दर्शाया गया, जिसमें से कई चरणों में भंडारण कम पाया गया। भौतिक सत्यापन के दौरान 2,30,976 बोरी धान का अभाव दर्ज किया गया, जिसे जांच दल ने गंभीर अनियमितता माना है।


ध्यान देने योग्य तथ्य यह भी है कि परिवहन के समय 4,22,258 बोरी धान खराब बताकर जिले से अतिरिक्त 4,10,000 बोरी की मांग की गई थी, जबकि वास्तविक स्थिति इससे मेल नहीं खाती। गोदामों में दर्ज मात्रा और परिवहन में दर्शाई गई धान की मात्रा में बड़ा अंतर पाया गया। कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा की गई एंट्रियों में भी कई गड़बड़ियां सामने आईं, जिनका कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया जा सका। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब दिपेश साहू पर करोड़ों रुपए की अनियमितताओं का आरोप था और विभागीय कार्रवाई भी लंबित थी, तब उसे जामपारा समिति में दोबारा कैसे रखा गया? सहकारिता विभाग के अधिकारी का “शायद” वाला बयान मामले को और संदिग्ध बनाता है। यह भी सवाल उठ रहा है कि यदि वास्तव में कोर्ट से दिपेश साहू का मामला समाप्त हो गया होता, तो उसे सुरजपुर जिले में ही रखा जाता, न कि कोरिया जिले में पदस्थ किया जाता। यह तथ्य स्वयं विभागीय निर्णयों की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है।

ग्रामीणों और समिति के सदस्यों में मामले को लेकर आक्रोश है। वे मांग कर रहे हैं कि पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच हो

 और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए। जामपारा समिति में विवादित कर्मचारी की पुनः पोस्टिंग से लोगों में असंतोष बढ़ता जा रहा है।

कुल मिलाकर, जांच प्रतिवेदन और विभागीय अधिकारियों की अस्पष्ट जानकारी इस बात की ओर इशारा करती है कि धान शॉर्टेज मामले की निष्पक्ष और गंभीर समीक्षा की अब अत्यंत आवश्यकता है।

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