कोरिया। जिले में रेत ठेका लागू होते ही हालात बिगड़ने लगे हैं। रेत माफिया के गुर्गे खुले आम सड़कों पर घूमकर ट्रैक्टर और टीपर चालकों से अवैध वसूली कर रहे हैं। सुरमी चौक, कटगोडी, नगर, डुमरिया और आसपास के इलाकों में ठेकेदार के लोगों की तैनाती इतनी बढ़ गई है कि आम नागरिक भी असहज महसूस कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक चिरमी और गेजी नदी का ठेका हुआ है, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि सिर्फ चिरमी नदी के ठेकेदार के गुर्गे ही पूरे इलाके में अपना बोलबाला बनाए हुए हैं। ट्रैक्टर वालों से 700 रुपए और टीपर चालकों से 1000 रुपए तक वसूली की जा रही है। प्रधानमंत्री आवास सहित अन्य निर्माण कार्यों में रेत की मांग बढ़ी है, लेकिन चिरमी नदी को छोड़ किसी भी अन्य नदी से रेत निकालने पर रोक जैसी स्थिति बना दी गई है। ग्रामीणों और किसानों को पकड़े जाने पर दबाव बनाकर पैसे ऐंठे जा रहे हैं।
शनिवार सुबह बंजारीदांड में वन विभाग ने तीन ट्रैक्टर अवैध रेत के साथ जब्त किए। इसी दौरान चिरमी ठेकेदार के गुर्गे भी मौके पर पहुँच गए। अब सवाल यह है कि मामले में सख्त कार्रवाई होगी या फिर हमेशा की तरह समझौते के नाम पर मामला ठंडे बस्ते में जाएगा।
ठेका लागू होने के बाद रेत के दामों में भी भारी उछाल आ गया है। पहले जहां 180 फीट रेत 2500–3000 रुपए में मिल जाती थी, वहीं अब इसकी कीमत 4500 रुपए तक पहुंच चुकी है। यानी आम लोगों को करीब 1500 रुपए का अतिरिक्त बोझ झेलना पड़ रहा है।
कुल मिलाकर, रेत ठेके की व्यवस्था ने माफिया के हौसले बुलंद कर दिए हैं और आम जनता की मुश्किलें दोगुनी हो गई हैं।
