कलेक्टर दफ्तर पहुंचना दिव्यांगों और बुजुर्गों के लिए बना चुनौती – दिव्यांगों और कलेक्टर के बीच मजबूरी की सीढ़ियां..!

 


कोरिया। जिले का सबसे बड़ा प्रशासनिक केंद्र कलेक्टर कार्यालय, जहां हर रोज सैकड़ों लोग अपनी समस्याओं का समाधान कराने पहुंचते हैं, वहीं पर दिव्यांगों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। वजह है  कलेक्टर का दफ्तर भवन की ऊपरी मंजिल पर स्थित है।

यहां न तो लिफ्ट की सुविधा है और न ही रैंप बनाया गया है, जिसके चलते दिव्यांगजन, व्हीलचेयर पर बैठे लोग और बुजुर्गों को कलेक्टर से मिलने के लिए मजबूरी में सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। युवा और स्वस्थ लोग तो किसी तरह ऊपर पहुंच जाते हैं, लेकिन जिनके पैर कमजोर हैं या चलने-फिरने में दिक्कत है, उनके लिए यह सफर बेहद पीड़ादायक बन जाता है।


पहले कलेक्टर का कार्यालय नीचे वाली मंजिल पर हुआ करता था, जिससे सभी वर्गों के लोगों को आसानी रहती थी। लेकिन दफ्तर को ऊपरी मंजिल पर शिफ्ट कर दिए जाने से अब दिव्यांग और बुजुर्ग दर-ब-दर भटक रहे हैं। कई बार लोग सीढ़ियों के बोझ से थककर वापस लौट जाते हैं और अपनी समस्या कलेक्टर तक पहुंचाने से वंचित रह जाते हैं।


सरकार और प्रशासन जहां सुगम्य भारत अभियान की बात करती है, वहीं जिले का सबसे बड़ा दफ्तर ही दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए दुर्गम बना हुआ है। सवाल यह है कि क्या आम जनता की परेशानी सुनने वाले कलेक्टर तक पहुंचने के लिए भी दिव्यांगों और बुजुर्गों को मजबूरी की सीढ़ियां चढ़नी पड़ेंगी?

अब देखना होगा कि प्रशासन इस गंभीर समस्या पर कब ध्यान देता है और क्या वाकई कलेक्टर कार्यालय आम जनता के लिए "सुगम हो पाएगा ..!



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